Tuesday, 26 January 2016

67वां गणतंत्र दिवस: राजपथ पर दिखी भारत की सैन्‍य ताकत, सांस्‍कृतिक समृद्धि का भी शानदार प्रदर्शन

67वां गणतंत्र दिवस: राजपथ पर दिखी भारत की सैन्‍य ताकत, सांस्‍कृतिक समृद्धि का भी शानदार प्रदर्शन
ज़ी मीडिया ब्‍यूरो
नई दिल्ली : कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और आम जनता के भारी उत्साह के बीच मंगलवार को राजपथ से ऐतिहासिक लालकिले तक पारंपरिक गणतंत्र दिवस परेड हुई, जिसमें न सिर्फ फ्रांस के राष्ट्रपति विशिष्ट मेहमान रहे बल्कि उनके देश के सैनिकों ने भी इसमें हिस्सा लिया। राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड में देश की सेनाओं ने अपने शौर्य और दमखम को प्रदर्शित किया। गौर हो कि पूरा देश आज 67वां गणतंत्र दिवस मना रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सुबह तीनों सेना प्रमुखों के साथ राजपथ पर स्थित अमर जवान ज्योति पर जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
फ्रांस की सेना भी आज परेड में शामिल हुई। यह पहला अवसर था जब गणतंत्र दिवस परेड में किसी विदेशी सैन्य दस्ते ने हिस्सा लिया हो। परेड में जहां सारी दुनिया में सबसे अधिक विभिन्नता वाले देश भारत को एक सिरे में पिरोने वाली उसकी हर कोने की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाया, वहीं अत्याधुनिक हथियारों, मिसाइलों, विमानों और भारतीय सैनिकों के दस्तों ने देश के किसी भी चुनौती से निपट सकने की ताकत का एहसास कराया। सुरक्षा कारणों से इस बार गणतंत्र दिवस परेड में 25 मिनट की कटौती की गई। इसे 115 मिनट की बजाय 90 मिनट का कर दिया गया।
सेना के तीनों अंगों के जवानों की तुर्रीदार पगड़ियां, उजले रौबदार चेहरे, शौर्य से चमकती आंखें और बैंड की धुन पर एक साथ उठते बढ़ते संतुलित कदम आज यहां हलके कोहरे की चादर से लिपटे भव्य राजपथ पर देश के गणतंत्र का 67वां उत्सव मनाने उतरे। इस दौरान देश की सैन्य, सांस्कृतिक और लोक विरासत को भी पूरी सजधज के साथ पेश किया गया।
फ्रांस के राष्ट्रपति इस वर्ष की परेड के मुख्य अतिथि बने और गणतंत्र दिवस परेड के इतिहास में पहली बार फ्रांस के सैनिकों ने पहली विदेशी टुकड़ी के तौर पर राजपथ पर मार्च किया। इस दौरान दुश्मन का कलेजा कंपा देने वाली हथियार प्रणालियों को भी परेड का हिस्सा बनाया गया। परेड के इंतजाम में इस वर्ष सुरक्षा को खास स्थान दिया गया था और विशिष्ट जन के साथ ही वहां मौजूद हजारों लोगों की भीड़ की सुरक्षा के लिए पूरे इलाके के चप्पे चप्पे पर सुरक्षाकर्मियों की पैनी निगाहें थीं।
फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच में बैठे थे और डेढ़ घंटे की इस परेड के दौरान मोदी को कई बार ओलांद को कुछ बताते समझाते देखा गया। भारत की प्रक्षेपास्त्र प्रणाली के अलावा टी 90 भीष्म टैंक, इंफैंटरी काम्बेट व्हिकल बीएमपी 2, आकाश शस्त्र प्रणाली ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र प्रणाली का सचल लांचर, स्मर्च प्रक्षेपास्त्र वाहन आदि इस परेड का मुख्य आकर्षण थे।

ऐतिहासिक राजपथ पर विशेष इंतजाम किए गए, जहां रक्षा सेवाओं के कमांडर इन चीफ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश की सैन्य शक्ति का जायजा लिया।
परेड शुरू होने से पहले परंपरा के अनुरूप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंडिया गेट जाकर अमर जवान ज्योति पर पुष्पांजलि अर्पित कर देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले जियाले सैनिकों को सलाम किया। इसके बाद राष्ट्रपति और भारतीय सेना के सर्वोच्च कमांडर प्रणब मुखर्जी इस बार की परेड के मेहमान-ए-खुसूसी फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के साथ सलामी मंच पर आए और फिर शुरू हुआ सैन्य टुकडियों, सांस्कृतिक एव विकास झांकियों, बच्चों के कार्यक्रमों, टैंकों, आधुनिक हथियारों, मिसाइलों आदि के प्रदर्शन का सिलसिला। गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी के इर्द-गिर्द सुरक्षा के कई कवच तैयार किये गए। शहर में महत्वपूर्ण ठिकानों को आतंकी समूहों द्वारा निशाना बनाने की खुफिया सूचना के मद्देनजर अहम बिंदुओं पर एंटी एयरक्राफ्ट गन और एलएमजी को तैनात किया गया। गनरों को बिना अनुमति के कोई भी हवाई वस्तु की उड़ान देखने पर उसे नीचे गिरा देने का स्पष्ट निर्देश दिया गया है। सुबह में दस बजकर 35 मिनट से सवा बारह बजे तक नोटम (वायुसैनिकों को नोटिस) घोषित किया गया।
परेड के शुभारंभ के रूप में सेना के चार हेलिकाप्टरों ने राजपथ के उपर से उड़ान भरते हुए गुलाब के फूलों की पंखुडियां बिखेरीं। इन हेलिकाप्टरों पर देश के तिरंगे के अलावा तीनों सेनाओं के ध्वज लहरा रहे थे। सबसे अंत में रोमांच से भर देने वाले वायु सेना के अत्याधुनिक विमानों को राजपथ के उपर से हैरतअंगेज कारनामों के साथ उड़ान भरते देख कर उन विमानों की ताकत के साथ ही वायु सेना के पायलटों का हुनर और जांबाज़ी का एहसास हुआ।

इस 67 वीं गणतंत्र दिवस परेड को देखने के लिए राजपथ से लालकिले तक भारी संख्या में उत्साही जनता एकत्र थी। इनमें महिलाएं, पुरुष, बुजुर्ग और बच्चे सभी शामिल थे। परेड के अंत में इंडिया गेट को जैसे चूमते हुए गुजर जाने का एहसास देने वाले भारतीय वायु सेना के 27 विमानों ने इस बार फ्लाई पास्ट में हिस्सा लिया। फ्लाई पास्ट की अगुवाई एमआई-17 वी5 हेलिकाप्टरों ने अंग्रेजी वाई की शक्ल में उड़ान भरी। इसके दूसरे चरण के रूप में एमआई 35 के तीन हेलिकाप्टरों ने चक्र शक्ल में और उसके बाद तीन सी130 सुपर हर्कुलिस विशाल विमानों ने उड़ान भरी।
इसके बाद एक सी-17 और दो सुखोई-30 एमकेआई विमानों ने ग्लोब फार्मेशन में उड़ान भरी। लड़ाकू विमानों की बारी आने पर पांच जगुआर विमानों ने तीर की शक्ल में राजपथ के उपर से उड़ान भरी और उसके बाद पांच मिग 29 विमानों ने उसी रूप में परवाज की। इस बार देश की सांस्कृतिक विविधताएं और विकास को दर्शाने वाली कुल 23 झांकियां निकलीं। 17 राज्‍यों और पांच सरकारी विभागों की झांकियां निकलीं।
संविधान निर्माता और दलितों के मसीहा बाबा भीव राव अंबेडकर की 125 वीं जयंती के अवसर पर उनकी विशालकाय मूर्ति वाली एक झांकी विशेष आकषर्ण का केन्द्र रही। स्कूली बच्चों ने सलामी मंच के समीप अनूठे नृत्य कर सबका मन मोह लिया। परेड में पहली बार 36 खोजी कुत्तों का दस्ता भी निकला। हर बार की तरह इस बार भी मोटरसाइकलों पर कौशल और जाबांजी दिखाने वाले डेयरडेविल स्टंट को लोगों ने खूब सराहा।
राष्ट्रगान के साथ परेड का समापन हुआ। समापन पर राष्ट्रीय ध्वज के तीन रंगों वाले गुब्बारों ने पूरे आसमान को ढक लिया। गणतंत्र दिवस के अवसर पर आतंकी हमले की आशंका की खुफिया सूचना के चलते राष्ट्रीय राजधानी में आज जमीन से हवा तक सुरक्षा के अभूतपूर्व प्रबंध किये गए और हजारों जवान चप्पे चप्पे पर कड़ी नजर बनाए हुए थे। राष्ट्रीय राजधानी में सुरक्षा का यह आलम था कि इसकी एक तरह से किलेबंदी कर दी गई थी। हल्की मशीनगनों से लैस कमांडो को सामरिक महत्व के स्थानों पर तैनात किया गया था और राजधानी में दो महत्वपूर्ण स्थानों पर विमान रोधक तोपें लगाई गई थीं। मध्य और नयी दिल्ली इलाकों में दिल्ली पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के करीब 50 हजार जवान तैनात किये गए थे।
राजपथ पर सुरक्षा के विशेष प्रबंध के रूप में समारोह स्थल पर वीवीआईपी गलियारे में सुरक्षा के बहुस्तरीय प्रबंध किये गए थे, जिसमें एक घेरा राष्ट्रपति सुरक्षा गार्डों का था, एक एक घेरा एसपीजी अधिकारियों, एनएसजी कमांडो का था और दिल्ली पुलिस सबसे बाहरी सुरक्षा घेरे के तौर पर चौकसी कर रही थी। इंडिया गेट के दो किलोमीटर के दायरे में विशेष गश्ती दल तैनात किए गए थे। वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि राजपथ के इर्द गिर्द 45 इमारतों पर सुरक्षा बलों के सटीक निशानेबाजों को तैनात किया गया है।
विमान भेदी तोपधारियों को स्पष्ट निर्देश थे कि बिना अनुमति के हवा में उड़ान भरने वाली किसी भी वस्तु को तत्काल गिरा दें। इस दौरान इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अडडे से विमानों की आवाजाही पर रोक थी। एक अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा इंतजाम के तहत मध्य और नयी दिल्ली क्षेत्र में 15 हजार सीसीटीवी कैमरे लगाये गए। करीब एक हजार यातायात अधिकारियों को रिवाल्वर जारी किये गए ताकि किसी भी खतरे से तत्काल निपटा जा सके। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार दिल्ली पुलिस प्रमुख बी एस बस्सी ने अपने बलों और पड़ोसी राज्यों के पुलिस विभागों से ड्रोनों पर सतर्क नजर रखने को कहा। इन्हें सुरक्षा के लिए बड़े खतरे के तौर पर देखा जा रहा है।
जनरल आफिसर कमांडिंग (दिल्ली) लेफ्टिनेंट जनरल राजन रवीन्द्रन के नेतृत्व में सेना और पुलिस के दस्ते बैंड की मनमोहक धुनों पर सधे कदमों से राजपथ पर सलामी मंच से गुजरे और वहां देश की तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उनकी सलामी ली। सैनिकों ने सलामी के तौर पर दाएं पैर को कंधे तक उठाकर पूरी धमक के साथ मातृभूमि पर टिकाते हुए जब एक साथ राष्ट्रपति की तरफ मुड़कर देखा तो जैसे पूरा राष्ट्र उनकी वीरता के आगे नतमस्तक हो गया। इससे पूर्व तीन दिन की राजकीय यात्रा पर भारत आए ओलांद राष्ट्रपति के साथ राजपथ पर पहुंचे जहां प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी अगवानी की और उन्हें तीनों सेनाओं.थल सेना, वायु सेना और नौसेना के प्रमुखों से मिलवाया।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने परेड शुरू होने से पहले लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी को शांति के समय का देश के सर्वोच्च शौर्य सम्मान अशोक चक्र से (मरणोपरांत) सम्मानित किया। 9वीं पैरा (विशेष बल) के जवान मोहन ने जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में पिछले वर्ष 2-3 सितंबर की दरम्यानी रात को आतंकवादियों से लड़ते हुए अदम्य साहस का परिचय दिया था। पुरस्कार उनकी पत्नी भावना गोस्वामी ने ग्रहण किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जहां खाकी रंग के बंद गले के सूट के साथ केसरिया पगड़ी पहने थे, वहीं राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने काली अचकन के साथ काली टोपी पहनी थी।
राजपथ पर सुरक्षा के विशेष प्रबंध के रूप में समारोह स्थल पर वीवीआईपी गलियारे में सुरक्षा के बहुस्तरीय प्रबंध किये गए थे, जिसमें एक घेरा राष्ट्रपति सुरक्षा गार्डों का था, एक एक घेरा एसपीजी अधिकारियों, एनएसजी कमांडो का था और दिल्ली पुलिस सबसे बाहरी सुरक्षा घेरे के तौर पर चौकसी कर रही थी। इंडिया गेट के दो किलोमीटर के दायरे में विशेष गश्ती दल तैनात किए गए थे। वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि राजपथ के इर्द गिर्द 45 इमारतों पर सुरक्षा बलों के सटीक निशानेबाजों को तैनात किया गया।

Saturday, 23 January 2016

हमारे आदर्श : सुभाषचन्द्र बोस नेता जी  जयंती हम उनके पदचिन्हो पर तत्पर !

! आप सबको शुभकामना !

सुभाषचन्द्र बोस का पोर्टेट उनके हस्ताक्षर सहित
जन्म23 जनवरी 1897
कटकबंगाल प्रेसीडेंसी का उड़ीसा डिवीजनब्रिटिश राज
मृत्युअभी भी संपेन्स 
राष्ट्रीयताभारतीय
शिक्षा : दर्शनशास्त्र  (ऑनर्स) आईसीएस 

विद्यालयकलकत्ता विश्वविद्यालय
प्रसिद्धि कारणभारतीय स्वतन्त्रता

भारत की स्वतन्त्रता पर नेताजी का प्रभाव- अंग्रेज थर -थर कापते थे अंग्रेज हमेशा चाहते रहे की सुभास चन्द्र बोस ( नेता जी ) भारत से बहार ही रहे. बहार में भी जब इन्होने भारत की आज़ादी के लिए गतिविधिया तेज कर दी तो अंग्रेजो को लगने लगा की हमारा सत्ता तो जायेगा ही जान भी जायेगा। उधर जवाहर लाल नेहरू को भी लगने लगा की ये नेता जी अपने बल बुते भारत को आज़ाद करवा देगा। देश का कमांडर ये खुद बनेगा तो ये अंग्रेजो से समझोता कर लिया जिसके परिणाम स्वरुप 15  अगस्त 1947 को पावर ऑफ एग्रीमेंट तहत सत्ता हासिल कर लिया। उसके बाद देश की ये हालात आपसे छुपा नहीं है.

ऐसे नेता:-
 हिरोशिमा और नागासाकी के विध्वंस के बाद सारे संदर्भ ही बदल गये। आत्मसमर्पण के उपरान्त जापान चार-पाँच वर्षों तक अमेरिका के पाँवों तले कराहता रहा। यही कारण था कि नेताजी और आजाद हिन्द सेना का रोमहर्षक इतिहास टोकियो के अभिलेखागार में वर्षों तक पड़ा धूल खाता रहा।
नवम्बर 1945 में दिल्ली के लाल किले में आजाद हिन्द फौज पर चलाये गये मुकदमे ने नेताजी के यश में वर्णनातीत वृद्धि की और वे लोकप्रियता के शिखर पर जा पहुँचे। अंग्रेजों के द्वारा किए गये विधिवत दुष्प्रचार तथा तत्कालीन प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा सुभाष के विरोध के बावजूद सारे देश को झकझोर देनेवाले उस मुकदमे के बाद माताएँ अपने बेटों को ‘सुभाष’ का नाम देने में गर्व का अनुभव करने लगीं। घर–घर में राणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी महाराज के जोड़ पर नेताजी का चित्र भी दिखाई देने लगा।
आजाद हिन्द फौज के माध्यम से भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करने का नेताजी का प्रयास प्रत्यक्ष रूप में सफल नहीं हो सका किन्तु उसका दूरगामी परिणाम हुआ। सन् 1946  के नौसेना विद्रोह इसका उदाहरण है। नौसेना विद्रोह के बाद ही ब्रिटेन को विश्वास हो गया कि अब भारतीय सेना के बल पर भारत में शासन नहीं किया जा सकता और भारत को स्वतन्त्र करने के अलावा उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा।
आजाद हिन्द फौज को छोड़कर विश्व-इतिहास में ऐसा कोई भी दृष्टांत नहीं मिलता जहाँ तीस-पैंतीस हजार युद्धबन्दियों ने संगठित होकर अपने देश की आजादी के लिए ऐसा प्रबल संघर्ष छेड़ा हो।
जहाँ स्वतन्त्रता से पूर्व विदेशी शासक नेताजी की सामर्थ्य से घबराते रहे, तो स्वतन्त्रता के उपरान्त देशी सत्ताधीश जनमानस पर उनके व्यक्तित्व और कर्तृत्व के अमिट प्रभाव से घबराते रहे।स्वातन्त्र्यवीर सावरकर ने स्वतन्त्रता के उपरान्त देश के क्रांतिकारियों के एक सम्मेलन का आयोजन किया था और उसमें अध्यक्ष के आसन पर नेताजी के तैलचित्र को आसीन किया था। यह एक क्रान्तिवीर द्वारा दूसरे क्रान्ति वीर को दी गयी अभूतपूर्व सलामी थी।
मै मरकर पुनः जनम में सुभास बनना चाहूँगा। 

सुभाषचन्द्र बोस जयंती की सभी देशवासियों को शुभकानाए। 

             जय हिन्द ! जय भारत !! भारत माता की जय !!!

Thursday, 21 January 2016

मन की बात में MANKIBATME (AKHAND BHARAT)

!! अखंड भारत !!

YE HAI MAHARA AKHAND BHARAT : BHARAT ME BHARTIY DARSHAN KAYAM HO JAYE TO ISKO EK HONA DUSKAR KARY NAHI. 

अभी तो  एक दर्शन (योग दर्शन) ही दुनिया के सामने आया है अभी तो 5 शेष हैं.

Add caption
भारत माता की जय !